Saturday, October 12, 2013

महामाया मंदिर


अगस्त का आख़िरी सप्ताह धार्मिक पर्यटन में गुजरा. प्रवास था गुरू घासी दास विश्व विद्यालय. यहाँ के समाज कार्य बिभाग को देखने का सौभाग्य मिला. पर्यटन भ्रमण के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा मानव सेवा में किये जा रहे कार्यों को देखकर सुखद आश्चर्य हुआ.लोकसभा टीबी चैनल व राज्य सभा टीबी चैनल पर अनेक सासदों ने अपने वक्तब्य में छत्तीसगढ़ के जनहित कार्यों की नजीर देते हुए उसकी नक़ल करने की वकालत की थी. उसको नजदीक से देखने पर मालूम हुआ कि सचमुच एक सम्बेदनशील मुख्यमंत्री का प्रयास सराहनीय है.



सबसे पहले महामाया मंदिर , वहाँ की ब्यवस्था अत्यंत ही सराहनीय ,सभी पूजापाठ कराने वाले लोग अत्यंत ही बिनम्र . किसी की मंशा आपको धर्म का भय दिखाकर लूटने की नहीं. मंदिर के अन्दर का प्रांगण भी बहुत साफ़ सुथरा और खुला हुआ, अनेक देवी-देवताओं की स्थापना भी मिली.



 अन्दर एक धुनी भी जलती रहती है.कुछ  दूर तक छायादार रास्ता से मंदिर तक पहुँचना सुखद लगा. मंदिर का बाहरी प्रांगण भी बिस्तृत और खुला है. दो तालाब भी बाहरी प्रांगण में स्थित हैं. तालाब के पार्श्व भाग में छोटा बगिया है,एक तालाब काफी अच्छा है,इसके मध्य एक फब्बारा भी है .



यह एक शक्तिपीठ है.  माँ के दर्शन के बाद भैरव बाबा के दर्शन का प्राविधान है. भैरव बाबा का मंदिर कुछ दूरी पर स्थित है. दोनों मंदिर रोड पर स्थित हैं.




  छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संपदा से भरपूर है. वन और अनेक खनन क्षेत्र इसके अंतर्गत आते हैं.कुछ नक्सली गतिबिधियाँ इसकी यश गाथा में कमी करती हैं,लेकिन मुझे बताया गया कि यह सब बाहरी तत्वों द्वारा कराई जाती हैं. यहाँ के लोग शान्ति प्रिय और छल छद्म से दूर रहने वाले हैं. कुछ बाहरी शरारती तत्वों द्वारा अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति हेतु यह कराया जाता है. लोग तो यहाँ तक कहने में हिचक नहीं किये कि कुछ माफिया,ठेकेदार,नेता,और कारपोरेट नेता बिना सडक,बाँध,या अन्य अपने न किये हुए कार्यों का भुगतान पाने हेतु नक्सली बमबाजी इत्यादि कराते हैं और अफसरों की मिलीभगत से पूर्ण भुगतान प्राप्त कर लेते हैं. आदमी अपने स्वार्थ में क्या क्या कर डालता है.
देश में 2013-14 में शिक्षा,स्वास्थ्य,मातृत्व स्वास्थ्य,सफाई,बिजली, घर और रोजगार इत्यादि जनकल्याण हेतु दो लाख करोड़ का बजट निर्धारित है. मेरा यह दृढ मत है कि जिस देश में बच्चे, महिला और बुजुर्ग सुरक्षित,स्वास्थ्य और प्रसन्न हैं,वह देश सबसे ज्यादा सभ्य,सुसंस्कृत और लोकतांत्रिक है,इसके बिपरीत आचरण का देश डपोरशंखी ,सम्बेदनहीन और शेखचिल्ली तांत्रिक और जादूगर का है,जिसका दूर-दूर तक वास्तविकता से कोई नाता नहीं है. केन्द्रीय और राज्य सरकारों के यहाँ बुजुर्ग बच्चे, महिला की सुरक्षा हेतु एक मंत्रालय भी है. यूनाइटेड नेशन आर्गनाइजेशन ने 14दिसंबर 1990 को यह प्रस्ताव पास कर 01 अक्टूबर को बुजुर्ग दिवस घोषित किया है . मंत्रालय इस दिन सम्मलेन,सेमीनार और गोष्ठी कर अपना फर्ज पूरा कर लेता है. इस दिन सात श्रेणी के पुरस्कार भी बितरित होते हैं. अखबार में बड़े-बड़े इश्तहार से मालूम होता है कि कागज़ पर ही काम होते हैं. बुजुर्ग और बृद्ध महिला की दशा की हकीकत देखनी हो तो ब्रिन्दाबन (मथुरा) के ब्रिद्धाश्रम देख लें, समाज,देश,सरकार और नौकरशाही सबकी असलियत स्पष्ट हो जाती है. इस तरफ ध्यान समाजसुधारक और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिन्देश्वरी पाठक का गया जो इस साल 50 बुजुर्ग बिधावायों को इन आश्रम से कलकत्ता इनके जन्मस्थान पर ले जारहें है,जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इनके हांथों दुर्गा पूजा  का श्री गणेश कराएंगी,तथा मंच पर सम्मानित करेगी.
  अनेक अर्थशास्त्री और उद्योगपति ने तो मनरेगा,खाद्य सुरक्षा इत्यादि योजनाओं को फिजूलखर्ची और लोगों को नकारा बनाने का प्रयास सिद्ध किया है.मिड-डे-मील को शिक्षा को चौपट करने का कारण माना है.उनके अनुसार अगर लोगों को जब दो रूपये किलो गेंहू और तीन रूपये किलो चावल मिलेगा तो वह इससे गुजारा कर लेगें,काम क्यों करना चाहेगें.मनरेगा के कारण लोग काम नहीं करना चाहते और श्रमिक मिलना मुश्किल हो गया है. जब कि बेचारे गरीब और असंगठित श्रमिक को उद्योग,ठेकेदार,और माफिया अपनी शर्तो और बहुत ही कम पारिश्रमिक पर काम देते हैं तथा अनेक प्रकार से शोषण करते हैं.  मानव की भलाई और प्रतिष्ठा हेतु छत्तीसगढ़ के अनेक कार्य मील के पत्थर हैं.
 भगिनी प्रसूति सहायता योजना-(मैटरनिटी बेनिफिट)- मजदूर महिला को रूपये 7000 गर्भ काल में और रजिस्टर्ड पुरूष मजदूर को रूपये 3000 उसकी पत्नी के प्रसूति सहायता हेतु दी जाती है. इसके अतिरिक्त बच्चों की अच्छी देखभाल के लिया मोबाईल क्रेच सुबिधा भी उपलब्ध हैं जहां मजदूर के बच्चे स्वास्थ्य और सुरक्षित माहौल में परवरिश पाते हैं.
नव निहाल छात्रबृत्ति योजना- रजिस्टर्ड मजदूर के कक्षा 1 से पोस्टग्रेजुयेट तक रूपये 500 से रूपये  5000 तक छात्रबृत्ति दी जाती है.
Unrecognized workers serios disease treatment aid sceme- इसके अंतर्गत रूपये 30000 से रूपये रूपये 50000   तक की सहायता मजदूर के इलाज के लिए दी जाती है.इसके अतिरिक्त रूपये 20000  दुर्घटनास्थल पर सहायता के लिए सम्बंधित अस्पताल को अलग से दी जाती है.
मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर इज्जत स्कीम- मजदूर इज्जत कार्ड दिया गया है जिससे मजदूर 150 किलो मीटर तक रेल से नि:शुल्क यात्रा कर सकता है.
मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर कौशल विकास स्कीम- इसमें उनके ट्रेनिंग हेतु सहायता दी जाती है.
मुख्यमंत्री साइकिल सहायता योजना- 18 से 25 वर्ष की मजदूर महिला को नि:शुल्क वितरित की गयी है.
मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना-25 से60 वर्ष की महिला मजदूर को नि:शुल्क वितरित की गयी है.
 
राजमाता विजया राजे सामूहिक विवाह योजना-  रू० 10000 महिला मजदूर को उसकी लड़की की शादी हेतु,तथा सामूहिक विवाह की दशा में रू० 5000 दिया जाता है.
बालश्रम शिक्षा प्रोत्साहन योजना-रू० 1000 प्रत्येक बालक को उनकी यूनिफ़ॉर्म के लिए दी जाती है.
मुख्यमंत्री श्रमिक औजार सहायता योजना- टूल किट दी जाती है.
विश्वकर्मा ग्रांट योजना- कार्य स्थल पर मृत्यु हो जाने पर रजिस्टर्ड मजदूर को एक लाख रूपये एनी को रू०  50000 दिया जाता है.
मुख्यमंत्री श्रमिक प्रतीक्षालय योजना- श्रमिक लाँज बड़े शहरों में जिसमें दाल-भात केंद्र की मदद से इनको भोजन भी सुलभ है.इसके अतिरिक्त निम्न कल्याणकारी और योजनाएँ हैं;-
मुख्यमंत्री स्वावलंबन पेंशन योजना-
मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर बीमा योजना-
बंधक निर्माण मजदूर पुनर्वास सहायता योजना.
फ्री हेल्पलाइन
यह सब योजनायें छत्तीसगढ़ राज्य असंगठित श्रमिक सुरक्षा व कल्याण परिषद् द्वारा सुलभ हैं और छत्तीसगढ़ राज्य की वेबसाइट पर दर्ज हैं. मैंने इतनी बड़ी मानव सेवा किसी राज्य में नहीं देखी है. यहाँ तक कि मानव की सेवा इतनी तरह से की जा सकती है,यह भी अनुकरणीय है. हो सकता है कुछ और राज्य प्रयत्न कर रहे हों,लेकिन उनके अफसरों के जबड़े इतने घृणित हैं कि मानव की सेवा दुर्लभ है. गरीब,लाचार,बेवस मानव तथा बच्चे,बूढ़े,और महिलाओं की उचित देखभाल और सुरक्षा करना प्रत्येक जनतंत्रीय देश का परम कर्तब्य है.
माओवादी हिंसा
तस्वीर के दूसरे पहलू के रूप में इसी राज्य में माओवादी हिंसा से 27 में से 18 जिले ग्रस्त हैं. हिंसा की घटना चिंता की वजह है. 2011 में 204, 2012 में 109 और मई 2013 तक 59 माओवादी और नक्सली हिंसा इस राज्य में हो चुकी है,  

अमरकंटक


अमरकंटक मध्य-प्रदेश के अनूपनगर जिला में स्थित है.नर्मदा का उद्गम स्थल और पर्यटन का एक रमणीय स्थान है. यहाँ का सबसे समीप का रेलवे स्टेशन पेण्ड्रा रोड 30 कि०मी० है. रोड से भी अच्छी तरह पहुंचा जा सकता है.




 नर्मदा उद्गम परिसर में अनेक मंदिर हैं.


परिसर में स्थित कुंड के पानी से केवल आचमन किया जा सकता है,स्नान करने की अनुमति नहीं है.





मुख्य प्रवेश द्वार के दाहिने नर्मदा उद्गम परिसर है,और बाएं एक बड़ा कुंड है जिसमें स्नान किया जा सकता है. परिसर बिस्तृत व खुला है.

माँ नर्मदा शिव के स्वेद (पसीना) से पैदा हुयी हैं तथा शिव पार्वती को बहुत प्रिय हैं. नर्मदा के हर कंकर को शंकर कहा जाता है. जितने भी शिव लिंग हैं,नर्मदा के पत्थरो से बने हैं.यहाँ पाए जाने वाले शिव लिंग में प्राण प्रतिष्ठा कराने की आवश्यकता नहीं होती. शंकर स्वयं उसमें बिराजमान हैं.
पुराणों के अनुसार जहां करोड़ों शिवलिंग बृत्ताकार रूप में स्थित हो,उसे महारूद्र मेरू यंत्र कहा जाता है.अमरकंटक पर्वत के चारों ओर अदृश्य करोड़ों शिव लिंग हैं. महारूद्र मेरू यंत्र पर साक्षात कैलाशपति शंकर निवास करते है.यह केवल वाराणसी और अमरकंटक में है. नर्मदा ही एक ऐसी पावन नदी है जिसके परिक्रमा का बहुत पूण्य होता है.यह परिक्रमा पैदल 3 से  4 साल में पूरा होती है,और मोटर मार्ग से लगभग 3 सप्ताह में की जा सकती है.
नर्मदा के तट पर तपस्या करने का प्राविधान है. नदियों में स्नान करने से पाप नाश होते हैं,लेकिन माँ नर्मदा के केवल दर्शन भर कर लेने से सभी पाप नाश हो जाते हैं. नर्मदा में अंतिम क्रिया-कर्म व शव दाह के बाद किसी नदी में मोक्ष हेतु राख इत्यादि विसर्जन की जरूरत नहीं होती ,क्योकि सभी नदियाँ,तीर्थ और देवता साल में एक बार माँ नर्मदा से मिलने अवश्य आते है. इस प्रकार माँ नर्मदा लोक-परलोक दोनों को बनाती है, ज्ञान ,तप-बल और मोक्ष देने वाली हैं.

 



नर्मदा उद्गम परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर प्राचीन मंदिर समूह परिसर है. इन मंदिरों की स्थापना कलचुरी महाराज कर्ण (1042-1072 ई०) के कार्यकाल में हुई. कर्ण मंदिर, मच्छेन्द्रनाथ मंदिर,पातालेश्वर मंदिर, केशव नारायण मंदिर इत्यादि हैं . मंदिर अच्छी तरह संरक्षित हैं.