किसी पूर्णकालिक पेशे से कम नहीं मां होना
मां,
सबसे मीठा, अपना, गहरा और बहुत खूबसूरत शब्द है
महर्षि यास्क के अनुसार माता निर्माण करने वाली अथवा जननी है। केवल जन्म देने अथवा पालन-पोषण करने के कारण ही नहीं बल्कि स्नेह, ममता, त्याग, करुणा, सहनशीलता जैसे गुणों के कारण मां वंदनीय है। |
मां शब्द को भाषा, शब्द और व्याख्या की आवश्यकता नहीं होती।
मेरे खाते में इससे जुड़ी अब तक 4 उपलब्धियां हैं' (जो मेरे हिसाब से 4 बेटियां हैं')। |
'मां' शब्द की पवित्रता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि कई धर्मों में देवियों को मां कहकर पुकारते
है, बेटी या बहन के संबोधनों से नहीं।
मां के आगे सब कुछ बौना। निरर्थक। बेकार। मां की तुलना किसी चीज या दूसरे भाव या रिश्ते से असंभव है
दुनिया इसे सराहे या नहीं, लेकिन दूसरा ऐसा और कोई पेशा नहीं है, जिसमें प्रतिफल की दर इतनी अधिक हो। |
आध्यात्मिक ग्रंथों में गंगा, यमुना, गायत्री, तुलसी, पृथ्वी, गौ को वैष्णवी माता की संज्ञा दी गई है। |
मेरे खाते में इससे जुड़ी अब तक 4 उपलब्धियां हैं' (जो मेरे हिसाब से 4 बेटियां हैं')। |
मां एक ऐसा कॅरियर है, जहां पर संतुष्टिï ही सबसे बड़ा पारितोषक है। |
किसी पूर्णकालिक पेशे से कम नहीं मां होना |
तैत्तिरीयोपनिषद् में मातृदेवो भव के अंतर्गत माता को देवतुल्य मानते हुए उसकी सेवा का कल्याणकारी उपदेश है। |
आदर्श माताएं---माता मंदालसा, सुनीति और सुमित्रा
मंदालसा ने पुत्रों को बाल्यकाल में ही विषयों के प्रति वैराग्य का उपदेश देकर आत्मज्ञान का बोध कराया। सुनीति ने पांच वर्षीय ध्रुव को वन में भेजकर भगवत्प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया। सुमित्रा ने लक्ष्मण को वनवास हेतु राम के साथ भेजकर भ्रातृ-धर्म का आदर्श प्रस्तुत किया
second Sunday of May.
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