Thursday, January 24, 2013

महाप्रयाण

 अंतिम संस्कार की तैयारी में मुन्डन के बाद 

 लिखना कम,सोचना  ज़्यादा-मेरी आदत.
 पढ़ना कम,समझना ज़्यादा आपकी आदत
 पिताजी बीमारी अवस्था में 
 
   पिताजी  घी वग़ैरह के लेप के बाद के संस्कार  
 

 
पिताजी   के  अंगवस्त्र  

  चिर-निद्रा शाश्वत सत्य. मरण को डाक्टरों ने बिना कष्ट का लगभग कर दिया है.इन्द्रियो के क्षरण को भी कुछ हद तक लगाम लगा दिया है,लेकिन जाने को नहीं रोक पाए हैं.
पिताजी की अंतिम यात्रा    

 १जनवरी को पिताजी का महाप्रयाण.९०+ की उम्र. दीपावली के बाद से ही अन्न इत्यादि ठीक से नहीं ले पारहे थे चलने-फिरने में भी असमर्थ थे लेकिन सबको पहचानना,बात समझना,यथावत था. कुछ देर पहले ही लगभग १ बजे अपरान्ह पूछने पर बोले की पेट में कुछ दर्द है.सभी लोग बैठे थे.पानी नस द्वारा चढ़ रहा था. डाक्टर भी सन्तुष्ट थे तथा अपनी क्लीनिक पर चले गये.लगभग ४ बजे श्वास कुछ घर्र-घर्र की आवाज़ के साथ शुरू हुई,एकाध चम्चच पानी मुह में डाला गया. ब्लड-प्रेशर नापने की  मशीन से ब्लड प्रेशर पर नज़र रखने का उपक्रम शुरू हुआ,मशीन ने इतना ज़्यादा ब्लड प्रेशर दिखाया की बिश्वाश ही नहीं हुआ, और उसी के बाद  तुरंत  मशीन error दिखाने लगी. प्राण निकल चुके थे . हमलोग हतप्रभ थे, तुरंत डाक्टर को बुलाया गया लेकिन पिताजी स्वर्गवासी हो चुके  थे.देखते-देखते हम लोंगो के बीच से  जा   चुके  थे    
 चिता पर पिताजी को मुखाग्नि देते हुए  
 
 चिता पर पिताजी को मुखाग्नि देते हुए  
 
 चिता पर पिताजी को मुखाग्नि देते हुए  
   

No comments:

Post a Comment