क्या आप सोच सकते हैं एक दो साल की बच्ची अपनी नानी की साड़ी पसंद कर सकती है?
हाँ यह बिलकुल सच है कि हमारी शिवी मात्र दो साल दो माह की नन्ही सी उम्र में मेरे लिए साड़ी पसंद कर अपने दो छोटे-छोटे हांथों में उठाकर चलने लगी ।
हुआ यूँ कि हमारी बेटी शिवी की दादी के के लिए कुछ साड़ियाँ खरीदने गयी ।उसने कई साड़ियाँ पसंद कर लियाऔर लेकर चलने लगी ।
.बीच में उसने देखा कि शिवी एक साड़ी अपनी बाहों के बीच दबा कर बैठी है ।उसकी मां के कहा ,शिवी अंकल को साड़ी लौटा दो तो उसने तपाक से कहा ,नहीं नानी की है! और हमारी बेटी ने उस साड़ी का मूल्य देकर घर ले आई।
जीवन का यह अत्यंत महत्व पूर्ण क्षण कभी न भुला देने वाला है ।
यह सत्य घटना है ,जो मेरे साथ हुई अत्यंत रोमांचकारी थी कोई इतना छोटा बच्चा अपने परिवार के प्रति इतना सोच सकता है??यह तो मनोबैज्ञानिक ही बता सकता है
.बीच में उसने देखा कि शिवी एक साड़ी अपनी बाहों के बीच दबा कर बैठी है ।उसकी मां के कहा ,शिवी अंकल को साड़ी लौटा दो तो उसने तपाक से कहा ,नहीं नानी की है! और हमारी बेटी ने उस साड़ी का मूल्य देकर घर ले आई।
हमारी बेटी ने जब बताया कि शिवी आपके लिए साड़ी ली है तो मैं समझ नहीं पाई कि शिवी ऐसे कैसे हमारे लिए साड़ी लाई है । जब उसने सारी बात बताई और शिवी से कहा की जाओ, नानी की साड़ी ला दो तो उसने झट से वही साड़ी लाई जो उसने उठाया था।
आश्चर्य यह कि उन पांच साड़ियों में से शिवी ने वही साड़ी उठाया जो उसने दूकान में उठाया था ।
आज भी वह साड़ी मेरे पास सुरक्षित है शिवी जब बड़ी होगी तो मैं वह साड़ी पहन कर उसको दिखाऊंगी ।
जीवन का यह अत्यंत महत्व पूर्ण क्षण कभी न भुला देने वाला है ।
यह सत्य घटना है ,जो मेरे साथ हुई अत्यंत रोमांचकारी थी कोई इतना छोटा बच्चा अपने परिवार के प्रति इतना सोच सकता है??यह तो मनोबैज्ञानिक ही बता सकता है
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