Tuesday, August 2, 2011

बेशर्मी मोर्चा स्लट वॉक



स्लट वॉक  भारत में भी पहुँच आया.यह ग्लोबल वर्ल्ड  व नारी शक्ति का परिचायक  है  रविवार को जंतर-मंतर पर 'स्लट वाक' निकाला गया। 

इस दौरान नुक्कड़ नाटकों के जरिये लोगों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने की कोशिश की गई। 'स्लट वाक' में शामिल लोगों ने अपने कपड़ों, बांह, पेट पर नारे लिखवा रखे थे। उनके हाथों में तख्तियां भी थीं, जिन पर लिखा था, 'मेरे छोटे स्कर्ट का तुमसे कोई लेना-देना नहीं है,' 'महिलाएं जो कपड़े पहनती हैं, वे यौन हिंसा को आमंत्रित नहीं करते।

दरअअसल, बेशर्मी मोर्चा भारत में शुरू हुए स्लट वॉक का हिंदी नाम है.बेशर्म मोर्चा समाज की सोच बदलने में कितना कामयाब होगा ये कहना तो बहुत मुश्किल है लेकिन इस मोर्चा की शुरुआत सबसे पहले कनाडा में टोरंटो से हुई। जहां एक पुलिस ऑफिसर के बयान से भड़की महिलाओं ने इसके खिलाफ अभियान चला दिया। दो महीने बाद ही महिलाओं ने हजारों की तादाद में जुलूस निकालने शुरू कर दिए। बयान देने वाले पुलिस अधिकारी को आखिरकार माफी मांगनी पड़ी लेकिन ये आंदोलन सारी दुनिया में फैल गया। 

पिछले कई महीनों से जिस स्लट वॉक या उसके भारतीय रूपांतरण 'बेशर्मी मोर्चा' को लेकर मुख्यधारा की मीडिया में खबरें आ रही थीं, आज उस बेशर्मी मोर्चा में शामिल युवक-युवतियों ने जंतर-मंतर पर एकत्रित होकर पार्लियामेंट स्ट्रीट का चक्कर लगाया।महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्राओं का बेशर्मी मोर्चा रविवार को सड़कों पर उतरा. दिल्ली की सड़कों पर बेशर्मी मोर्चा का स्लट वॉक रविवार को पूरी खुमारी के साथ खत्म हो गया. इस वॉक में सैकड़ों महिलाओं ने हिस्सा लिया. सड़क पर हुई इस सेंसर वॉक का नाम देल्ही स्लट वॉक 2011 दिया गया. इसके मद्देनज़र सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थेमहिलाओं के प्रति पुरुषों की मानसिकता में बदलाव लाने के मक़सद से दिल्ली में 'स्लट वॉक' यानि बेशर्मी मोर्चा निकाला गया.

जंतर-मंतर पर दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा उमंग सबरवाल के आह्वान पर स्लट वॉक यानी बेशर्मी मोर्चा निकाला गया। इसका मकसद महिलाओं के प्रति पुरुषों को संवेदनशील बनाना, और उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करना सिखाना है। इसमें देशी-विदेशी युवतियों के साथ युवकों ने भी हिस्सा लिया। बेशर्मी मोर्चा की लड़कियों ने कहा कि कपड़े भड़काऊ नहीं होते, सोच बदलो। 


महिलाओं से छेड़छाड़ की बढ़ती वारदातों, बलात्कार, यौन शोषण और छिटाकशी की घटनाओं को रोकने के लिये दिल्ली में पहली बार स्लट वॉक यानी कि बेशर्मी मोर्चा निकाला गया। यह मोर्चा उस आजादी को हासिल करने के लिये निकाला गया जो महिलाओं को पहनने-ओढ़ने पर रोक लगाता है। यह मोर्चा पुरुषों के उस संकीर्ण मानसिकता के खिलाफ निकाला गया जो महिलाओं को उनके ही खिलाफ हो रहे अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराता है।




 'स्लट वॉक' की शुरुआत कनाडा से हुई, जहां टोरंटो में महिलाओं पर एक पुलिसकर्मी की टिप्पणी पर बवाल खड़ा हो गया था. दरअसल उस पुलिसकर्मी ने कहा कि छेड़खानी से बचने के लिए महिलाओं को स्लट यानि वेश्याओं की तरह कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इसी टिप्पणी के बाद 'स्लट वॉक' की शुरुआत हुई और कई देशों में इसकी लहर दौड़ गई



बेशर्मी मोर्चा को दिल्ली पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ स्लट वॉक की इजाजत दे दी है. लेकिन इसके साथ उनको यह हिदायत भी दी गयी है कि वे अपनी सीमा में रहकर ही मार्च करे. मार्च के दौरान अश्लीलता के दायरे में आने वाले कपड़ो या हरकतों पर बेशर्मी मोर्चा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है महिलाओं के हक और समान अधिकार के लिए दुनिया के कई देशों में निकाली जा चुकी स्लट वॉक आज दिल्ली के जंतर-मंतर में आयोजित हुआ। 























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